महाशक्तियों के साथ बंधी होती है परम कर्तव्यों की डोर! खुद का जीवन भुला कर करनी होती है दूसरों की सेवा! दूसरों के दुःख दूर करने के लिए करना होता है खुद के सुखों का बलिदान, तभी कोई रक्षक कहलाता है महाबली और जो महाबली हो जाता है अपने स्वार्थ में अंधा उसे मिल